ग्रहों में प्रमुख स्थान रखने वाले राहु को दैत्यों का सेनापति कहा गया है।
इनके शुभ प्रभाव से सभी प्रकार की भौतिक उपलब्धियां, सांसारिक प्रतिष्ठा, वैभव, प्रशासनिक कार्यों में कुशलता, राजनीति-कूटनीति में सफलता उत्तम स्वास्थ्य तथा सामाजिक प्रतिष्ठा मिलती है।
राहु के अशुभ प्रभाव के परिणाम स्वरूप ये भौतिकता की कमी तो करते ही हैं प्राणियों को व्यर्थ में कोर्ट कोर्ट कचहरी के मामलों में उलझाए रहना, गलत लोगों की संगति करना और स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं लाते हैं। व्यक्ति धनाढ्य परिवार में जन्म लेकर भी विपत्तियों का सामना करता है।
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वेद मंत्रों में राहु को हमेशा अपने भक्तों पर वैभव और बाहुल्य प्रदान करने को प्रस्तुत, मित्रता एवं प्रेम से परिपूर्ण, चंदन पुष्प और अक्षत से सुशोभित, खड़क धारण करने वाले, दक्षिण दिशा की ओर मुंह किए हुए भद्रासन पर आसीन चारों ओर सिद्धियों से घिरे हुए गहरे नीले रंग वाला बतलाया गया है।
राहु के अच्छा होने से व्यक्ति में श्रेष्ठ साहित्यकार, दार्शनिक, वैज्ञानिक या फिर रहस्यमय विद्याओं के गुणों का विकास होता है। इसका दूसरा पक्ष यह कि इसके अच्छा होने से राजयोग भी फलित हो सकता है। आमतौर पर पुलिस या प्रशासन में इसके लोग ज्यादा होते हैं।
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